Wednesday, December 25, 2024

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अंतरराष्ट्रीय छात्र विज्ञान सम्मेलन, दून स्कूल में आये वैश्विक अतिथियों का परमार्थ निकेतन में दिव्य व भव्य अभिनन्दन



ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में दून स्कूल, देहरादून के अंतरराष्ट्रीय छात्र विज्ञान सम्मेलन 2024 के अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित विद्यालयों के संरक्षकों, प्रतिनिधियों, अतिथियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों का आगमन हुआ। दून स्कूल, देहरादून में आयोजित सात दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक विज्ञान की साझेदारी को प्रोत्साहित करना और भारतीय संस्कृति व आध्यात्मिकता से युवा पीढ़ी को परिचय कराना है। सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय छात्र विज्ञान सम्मेलन 2024 के सातवे दिन सभी परमार्थ निकेतन आये। डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने ’योग का विज्ञान’ विषय पर प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। शिक्षकों और छात्रों ने योग, ध्यान और आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। तत्पश्चात सभी ने विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया।
डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है बल्कि यह जीवन को एक नई दिशा देने वाली पूर्ण और समग्र पद्धति है। आज के इस आधुनिक युग में, जहाँ एक ओर तकनीकी प्रगति और प्रतिस्पर्धा की दौड़ में हमारे छोटे-छोटे बच्चे भी मानसिक तनाव और शारीरिक थकावट के शिकार हो रहे हैं, ऐसे में हम योग और ध्यान को जीवन का अंग बनाकर शरीर और मन को स्वस्थ रख सकते हैं। योग हमें केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।
साध्वी जी ने बताया कि आज की रफ्तार भरी दुनिया में, जहाँ हर व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार दौड़ रहा है, ऐसे में योग हमें अपने भीतर की शांति और शक्ति को पहचानने में मदद करता है। योग का अभ्यास न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि यह मनुष्य को आंतरिक संतुलन और आत्म-विश्वास भी देता है, जो बाहरी तनावों का सामना करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
हम सब बाहरी दुनिया से अधिक प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन योग हमें यह समझने की शक्ति देता है कि सबसे महत्वपूर्ण चीज़ हमारी आंतरिक दुनिया है। जब हम अपने भीतर शांति और संतुलन स्थापित करते हैं, तो हम जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
साध्वी भगवती जी ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुये कहा कि वे अपनी शिक्षा के साथ-साथ योग और ध्यान को भी अपनी दिनचर्या का अंग बनाये। यह उन्हें न केवल मानसिक तनाव से मुक्ति देगा, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास में भी सहायक होगा। योग हमें अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करेगा, जिससे हम जीवन के हर क्षेत्र में अधिक संतुलित और आत्म-विश्वासी बन सकेंगे।
विज्ञान विभाग प्रमुख, दून स्कूल, आनंद कुमार मंडियान ने कहा कि यह कार्यक्रम केवल विज्ञान और शिक्षा का मंच नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता से जुडऩे और अपने अनुभवों को साझा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर परमार्थ निकेतन ने हमें प्रदान किया है। हमारे सभी प्रतिभागियों ने पूज्य साध्वी जी के उद्बोधन के माध्यम से भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं के साथ वैश्विक विज्ञान के जुड़ाव को समझा और अनुभव किया। यह सम्मेलन छात्रों के लिए एक अद्वितीय मंच साबित हुआ, जहां उन्होंने योग, ध्यान और भारतीय संस्कृति के महत्व को आत्मसात किया।
कार्यक्रम के समापन पर दून स्कूल के डिप्टी हेडमास्टर कमल आहूजा ने कहा, यह सम्मेलन न केवल विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की प्रेरणा देता है, बल्कि हमारी संस्कृति और मूल्यों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। परमार्थ निकेतन का यह दिव्य अनुभव सभी प्रतिभागियों के लिए अविस्मरणीय रहा और गंगा जी की आरती ने हम सभी के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाला। उन्होंने कहा कि इस बार पूज्य स्वामी जी के दर्शन नहीं हो पाये परन्तु हमें आशा है दून स्कूल व परमार्थ निकेतन का यह संबंध और प्रगाढ़ होगा और पूज्य स्वामी के दर्शन का सौभाग्य हम सभी को अवश्य प्राप्त होगा।
सभी प्रतिभागियों ने विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया। गंगा के किनारे दीपों की जगमगाहट और मंत्रोच्चारण ने उपस्थित सभी को भावविभोर कर दिया। विश्व के विभिन्न देशों से आये प्रतिभागियों ने कहा कि यह पल उनके लिए सदैव ही अद्वितीय और यादगार रहेगा।

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