रुद्रपुर। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर यूनियन का रविवार को रुद्रपुर की एक धर्मशाला में जिला स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें आशा कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए 30 हजार रुपये मासिक वेतन और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग उठाई है। इसके लिए यूनियन ने ब्लॉक स्तरीय धरना-प्रदर्शन की योजना बनाई है। सम्मेलन में ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री कामरेड केके बोरा ने कहा कि भारतीय श्रमिक सम्मेलन द्वारा पारित प्रस्ताव के बावजूद आशा कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा न देना और उनके समान वेतन न देना सरकार की दोहरी नीति को दिखाता है। सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करके आशा कर्मचारियों को उनका हक देना चाहिए। यूनियन की जिलाध्यक्ष ममता पानू ने कहा कि वह आशा कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार के शोषण को नहीं सहन करेंगी। उन्होंने सरकार से सरकारी अस्पतालों में नई अल्ट्रासाउंड मशीनों की व्यवस्था और डॉक्टर-नर्स की नियुक्ति की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि आशाओं पर काम का बोझ बढ़ा दिया गया है। आरोप लगाया कि कई स्थानों पर अधिकारी भी उनका उत्पीड़न कर रहे हैं, जिसे बदलने की आवश्यकता है। प्रदेश उपाध्यक्ष रीता कश्यप ने राज्य सरकार पर आशा कर्मचारियों से किए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री द्वारा खटीमा में किए गए वादे को पूरा नहीं करने के खिलाफ अनिश्चितकालीन आंदोलन की योजना बनाई जाएगी। इसके अलावा 24 फरवरी को दिल्ली में होने वाले ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन में बड़ी संख्या में भागीदारी की घोषणा की गई। सम्मेलन में ममता पानू को पुन: जिलाध्यक्ष, बबिता कश्यप को जिला उपाध्यक्ष, अनीता अन्ना को जिला उपसचिव चुना गया। साथ ही रेखा, सतपाल कौर, कुलदीप, गीता लक्ष्मी रावत को जिला कार्यकारिणी में चुना गया। सम्मेलन में भाकपा (माले) के जिला सचिव ललित मटियाली, ऐक्टू नेता प्रकाश चिलवाल, ललित सिंह, रेशमा, रेखा, राजेश्वरी, कुलदीप कौर, सतपाल कौर, आयशा परवीन, चरणजीत कौर, मिथलेश, विमला चौधरी, बबिता, ममता, सुषमा देवी, लक्ष्मी रावत, तारा भट्ट, लक्ष्मी देवी, सविता देवी, खिमली देवी, अन्नू, विमला, राइशा, ममता, अनिता आदि शामिल रहे।