रुद्रप्रयाग। केदारनाथ की संवेदनशीलता के साथ ही यहां की धार्मिक मर्यादा को ध्यान में रखते हुए केदारसभा ने धाम में अनावश्यक ढोल एवं अन्य वाद्य यंत्रों के साथ ही आतिशबाजी पर रोक लगाने की मांग की है। इस बावत केदारसभा ने बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष को ज्ञापन दिया है। बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को दिए ज्ञापन में केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, महामंत्री अंकित सेमवाल ने कहा कि केदारनाथ धाम में आए दिन यहां की धार्मिक मान्यता को प्रभावित करने के कार्य किए जाते रहे हैं। धाम में अनावश्यक ढोल वादन, वाद्य यंत्रों व ध्वनियों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा दीपावली के मौके पर भी केदारनाथ धाम में दीपक जलाएं किंतु आतिशबाजी से इस पवित्र स्थल में प्रदूषण बढ़ेगा जो हिमालय के काफी घातक होगा।
केदारसभा के पदाधिकारियों ने कहा पुराणों में केदारनाथ धाम के महत्व को लेकर कहा गया है कि यह स्थान विशाल हिमखंडों एवं ग्लेशियरों एवं दलदल भूमि के बीच है। यहां के धार्मिक और वैज्ञानिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक वाद्य यंत्रों की आवाज एवं दीपावली पर आतिशबाजी पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा केदारसभा की इस जायज मांग पर बदरी-केदार अपने स्तर से सकारात्मक कार्यवाही करेगी।
तीन नवंबर को बंद होंगे केदारनाथ के कपाट:
बता दें इस वर्ष की चारधाम यात्रा के बस कुछ ही दिन बचे हैं। इस वर्ष भी केदारनाथ मंदिर के कपाट पूर्व परंपरा के अनुसार शीतकाल के लिए तीन नवंबर को भाईदूज के दिन सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर बंद किए जाएंगे। 17 नवंबर को मिथुन लग्न में रात नौ बजकर सात मिनट पर पूरे विधि-विधान से भगवान बदरी विशाल मंदिर के कपाट भी बंद कर दिये जाएंगे। गंगोत्री मंदिर के कपाट आगामी 2 नवंबर को अन्नकूट पर्व पर बंद हो जाएंगे और यमुनोत्री मंदिर के कपाट भाईदूज के पर्व आगामी 3 नवंबर को बंद होंगे। भगवान मदमहेश्वर के कपाट भी 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे।