नैनीताल। महिला सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और अपराधों की रोकथाम को लेकर कुमायूँ परिक्षेत्र में एक सशक्त अभियान की शुरुआत हो चुकी है। पुलिस महानिरीक्षक (आई.जी ) कुमायूँ श्रीमती रिधिम अग्रवाल के नेतृत्व में, महिला अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने और महिलाओं में आत्मबल जगाने के उद्देश्य से “कोशिश… फिर एक नयी आशा” अभियान को एक बार फिर पूरे कुमायूँ रेंज में गति दी जा रही है।
यह पहल, आई.जी रिधिम अग्रवाल द्वारा अपने पूर्व कार्यकाल में ऊधमसिंह नगर में सफलतापूर्वक शुरू की गई थी, जहां स्कूलों और कॉलेजों में युवतियों को सेल्फ डिफेंस की विशेष ट्रेनिंग दी गई थी। इस नवाचार से महिला अपराधों में कमी देखने को मिली थी। अब यह प्रयास पूरे कुमायूँ क्षेत्र में दोबारा शुरू किया जा रहा है ताकि व्यापक स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके।
महिला अपराधों पर प्रभावी रणनीति:
आई.जी कुमायूँ द्वारा जनपदों के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्लूसी), वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), महिला हेल्पलाइन नोडल अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ गोष्ठी का आयोजन कर सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि:
महिला हेल्पलाइन में आने वाली प्रत्येक पीड़िता के साथ शालीनता व संवेदनशीलता से व्यवहार किया जाए ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे।
केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत अभियुक्तों को सख्त सजा दिलाने हेतु कोर्ट में प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाए।
पीड़िताओं को त्वरित मुआवजा दिलाने हेतु डिएलएसए से समन्वय कर जिला विधिक प्राधिकरण की सहायता से कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
सभी जनपदों में डोर-टू-डोर सर्वे कराया जाए ताकि मानव तस्करी की जड़ें पहचानी जा सकें।
मनोवैज्ञानिक सहायता और NIMHANS का सहयोग: कई जनपदों में मनोवैज्ञानिकों की कमी के कारण पीड़िताओं की सही काउंसलिंग नहीं हो पाती है। इस समस्या के समाधान हेतु आई.जी महोदया ने भारत सरकार के प्रतिष्ठित संस्थान NIMHANS के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके तहत महिला हेल्पलाइन, विवेचक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा ताकि वे संवेदनशील मामलों में कुशलता से संवाद स्थापित कर सकें।
वन स्टॉप सेंटर की भूमिका और विस्तार: गोष्ठी में यह भी बताया गया कि कुमायूँ क्षेत्र के सभी जनपदों में एक-एक वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) कार्यरत हैं, लेकिन अल्मोड़ा जनपद में 7 ओएससी हैं। पिथौरागढ़ और चंपावत जैसे बड़े जनपदों में केवल एक सेंटर होने से कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही हैं। आई.जी ने निर्देशित किया कि आवश्यकता अनुसार जिलाधिकारी के माध्यम से ओएससी के नए प्रस्ताव भेजे जाएँ।
सेल्फ डिफेंस और स्कूलों में विशेष कार्यशालाएं : महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए गर्मी की छुट्टियों में विशेष शिविर तथा स्कूल खुलने पर सप्ताह में एक दिन सेल्फ डिफेंस की कार्यशालाएं आयोजित की जाएँगी। इसके लिए जिलाधिकारियों और जिला कार्यक्रम अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।
सम्मान और प्रेरणा : आई.जी महोदया ने निर्देश दिए कि महिला हेल्पलाइन अधिकारियों, विवेचकों और पुलिस सुविधा अधिकारियों को उनके अच्छे कार्यों के लिए मासिक अपराध गोष्ठी में सम्मानित किया जाएगा, जिससे दूसरों को भी प्रेरणा मिले।
पीड़िता की पहचान और अधिकार : गोष्ठी के दौरान उधमसिंहनगर की सीडब्लूसी सदस्य ने बताया कि आधार कार्ड की अनुपलब्धता के कारण कई पीड़िताओं को मुआवजा नहीं मिल पाता। इस पर आई.जी ने निर्देश दिए कि प्रारंभिक काउंसलिंग में ही आधार कार्ड की जानकारी लेकर जरूरत पड़ने पर तत्काल बनवाने की व्यवस्था की जाए।
जनजागरूकता कार्यक्रम और “जिला हब” का सहयोग : बालिकाओं के अधिकारों और सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु प्रत्येक जनपद में “जिला हब” कार्यरत हैं। निर्देश दिए गए कि जब भी स्कूल/कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम हों, तो “जिला हब” के अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर उन्हें सहभागी बनाया जाए।
“कोशिश… फिर एक नयी आशा” नारी सुरक्षा की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल बन रही है, जो न केवल अपराधों पर अंकुश लगाने में सहायक है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को बदलने का माध्यम भी बन रही है। आई.जी कुमायूँ रिधिम अग्रवाल की यह पहल निश्चित ही उत्तराखण्ड में महिला सशक्तिकरण की एक मजबूत नींव रखेगी।