अल्मोड़ा। जनपद के क्वारब क्षेत्र की बदहाल सड़क व्यवस्था को लेकर कांग्रेस का आक्रोश गुरुवार को सड़कों पर फूट पड़ा। अल्मोड़ा में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं की पुलिस से तीखी नोकझोंक भी हुई और भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद कांग्रेसियों ने बैरिकेटिंग तोड़कर कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश कर सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शन का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और स्थानीय विधायक मनोज तिवारी आदि ने किया। प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ और जोशीले तेवरों से प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ी। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि क्वारब की दरकती पहाड़ियां और महीनों से जर्जर सड़कें सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आम जनता की परेशानियों को लेकर सरकार पूरी तरह उदासीन है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि क्वारब की सड़क कुमाऊं की जीवनरेखा है, जिसे सरकार ने मरने के लिए छोड़ दिया है। एक साल से कोई काम नहीं हुआ और जनता महंगाई व आपदा के दोहरे संकट से जूझ रही है, जबकि सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि यह केवल सड़क नहीं, बल्कि कुमाऊं के व्यापार और पर्यटन की धड़कन है, जिसे धामी सरकार की नाकामी ने लगभग बंद कर दिया है। पर्यटन उद्योग दम तोड़ रहा है और लोग रोज़गार के अभाव में पलायन को मजबूर हो गए हैं। जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भोज ने आरोप लगाया कि क्वारब डेंजर ज़ोन में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य न होने का खामियाजा तीन जनपदों की जनता और व्यापार जगत को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि केंद्र में मंत्री रहने के बावजूद अल्मोड़ा की स्थिति जस की तस बनी हुई है और क्वारब में एक साल से सुधारीकरण कार्य शुरू नहीं हो पाया है, जो सरकार की नाकामी का स्पष्ट उदाहरण है। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि शासन और प्रशासन केवल कागजों में काम कर रहे हैं, जबकि जमीनी हालात बेहद चिंताजनक हैं। क्वारब क्षेत्र आपदा की जद में है और सरकार सिर्फ औपचारिकता निभा रही है। प्रदर्शन के अंत में कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे रहे कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन धरनास्थल पर पहुंचे जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे के माध्यम से प्रेषित किया। चेतावनी दी गई कि यदि शीघ्र सड़क मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हुआ, तो कांग्रेस राज्यव्यापी उग्र आंदोलन करेगी। प्रदर्शन में विधायक मदन बिष्ट, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, नगर कांग्रेस अध्यक्ष ताराचंद जोशी, परितोष जोशी, आनंद सिंह रावत, सुमित्तर भुल्लर, राजेंद्र बाराकोटी, प्रशांत भैसोड़ा, निर्मल रावत, विपुल कार्की, महेश चंद्र, अमित बिष्ट, देवेंद्र धौनी, आनंद सिंह बिष्ट, प्रीति बिष्ट, लता तिवारी और दीप साह समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल रहे।
कांग्रेस के पूर्वघोषित कार्यक्रम को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क था। धरने और घेराव की तैयारी को देखते हुए पुलिस बल को सुबह से ही कलेक्ट्रेट और प्रमुख मार्गों पर तैनात कर दिया गया था। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर की कड़ी घेराबंदी की गई थी, लेकिन आक्रोशित कांग्रेसियों ने बैरिकेटिंग तोड़ दी और भीतर घुस आए। कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल जब जिलाधिकारी कार्यालय की ओर बढ़ा, तो पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस कर्मियों के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब प्रदर्शनकारी बैरिकेटिंग लांघकर कलेक्ट्रेट भवन के अंदर दाखिल हो गए और भूतल पर बैठकर जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। कलेक्ट्रेट परिसर में कुछ देर के लिए अफरातफरी का माहौल बन गया। कर्मचारियों का नियमित कार्य बाधित हुआ और कार्यालयी कामकाज लगभग ठप हो गया। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस इस प्रदर्शन की तैयारी बीते पखवाड़े से कर रही थी और इस बार पार्टी का रुख पूरी तरह आक्रामक दिखा। प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद प्रदर्शनकारी अपनी रणनीति में सफल रहे और कलेक्ट्रेट परिसर तक पहुंचकर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।