हरिद्वार। कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय.. केलवा जे फरेले घवद से उहे पर सुगा मंडराय, मारबउ रे सुगवा धनुष से..जैसे लोक आस्था के गीतों के साथ महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। बुधवार को महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखेंगी और सूर्यास्त के बाद खरना की पूजा करेंगी। इसके बाद गुड़ की खीर और रोटी (रसियाव) बनाकर व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। इसी क्रम में तीसरे दिन गुरुवार को गंगा घाटों, पोखर, तालाबों पर डूबते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान करने के उपरांत, चौथे दिन शुक्रवार को उगते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जायेगा। इसी के साथ छठ व्रतियों के 36 घंटों का निर्जल उपवास भी संपन्न होगा।