विकासनगर। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भैयादूज पर्व रविवार को पछुवादून में परंपरागत ढंग से मनाया गया। बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की, वहीं भाइयों ने बहनों को रक्षा का वचन दिया। भैयादूज पर्व के चलते मिठाई की दुकानों पर दिनभर ग्राहकों भी भीड़ रही। पर्व के चलते रविवार सुबह से ही घरों में भैयादूज को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं। बहनों ने व्रत रखकर पूजा-अर्चना की और भाइयों के माथे पर तिलक लगाया। मिठाई खिलाकर उनकी उन्नति और समृद्धि की कामना की। वहीं भाइयों ने भी बहनों को रक्षा का वचन दिया और कई उपहार दिए। बड़ी तादाद में महिलाओं ने ससुराल से आकर भैयादूज की परंपरा का निर्वहन किया। शहर की मिठाई की दुकानों पर सुबह से लेकर शाम तक ग्राहक उमड़े नजर आए। आलम यह रहा कि कई मिठाई की दुकानों पर शाम होते-होते मिठाई ही खत्म हो गई। वहीं जिला कारागार सुद्धोवाला में भी पहुंचकर बहनों ने भाइयों को तिलक लगाया और उनकी लंबी आयु की कामना की। इसके चलते जिला कारागार के बाहर काफी भीड़ नजर आई।
मान्यता है कि अकाल मृत्यु से बचाता है बहन के घर का भोजन
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव की पत्नी छाया से यमराज और यमुना का जन्म हुआ। यमराज ने तपस्या कर ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर लिया और यमलोक के अधिपति बन गए। वहीं यमुना नदी के रूप में धरती पर बहने लगीं। यमराज और यमुना भाई-बहन होकर भी मिल नहीं पाते थे। एक बार यमुना ने अपने भाई यमराज को घर आने का निमंत्रण दिया। बहन के आमंत्रण पर यमराज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को उनके घर पहुंचे। भाई को आया देख यमुना ने कई तरह के व्यंजन बनाकर उन्हें खिलाए। इसके बाद यमुना ने अपने भाई यमराज को तिलक लगाकर आरती भी उतारी। यमराज भी बहन का प्रेम देखकर प्रसन्न हो गए। उन्होंने अपनी बहन से वरदान मांगने को कहा। बहन ने कहा कि जो भी भाई इस तिथि पर अपनी बहन के घर भोजन करे उसकी अकाल मृत्यु न हो। यमराज ने अपनी बहन को खुशी-खुशी ये वरदान दे दिया। तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।