Sunday, December 29, 2024

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बार काउंसिल ने अधिवक्ता को तीन साल के लिए निलंबित किया


हल्द्वानी। उत्तराखंड बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने एक अधिवक्ता के विधि व्यवसाय के विरुद्ध आचरण करने पर उन्हें तीन माह के लिए वकालत करने के कार्य से निलंबित किया है। उत्तराखंड बार काउंसिल की अनुशासन समिति के अध्यक्ष डीके शर्मा, सदस्य नंदन सिंह कन्याल और योजित सदस्य राम सिंह सम्मल के समक्ष अधिवक्ता हेम पाठक ने सिविल कोर्ट कंपाउंड हल्द्वानी के अधिवक्ता बसंत जोशी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में बताया कि अधिवक्ता हेम पाठक के भाई संदीप पाठक का अपनी पत्नी बंटी उर्फ इशिता के साथ विवाह विच्छेद वाद परिवार न्यायालय हल्द्वानी में चल रहा था। मामले में इशिता की ओर से अधिवक्ता बसंत जोशी पैरवी कर रहे थे। मामले के विचाराधीन रहते 8 दिसंबर 2018 को इशिता का सामान एवं शैक्षिक दस्तावेज वापस कर दिए गए। जिसमें अधिवक्ता बसंत जोशी स्वयं गवाह बने, जबकि इस मामले में पैरवी करने से वह गवाह नहीं हो सकते थे। हालांकि वह बाद में उस मामले में पैरवी से अलग हो गए। यह विवाह विच्छेद 31 मई 2022 को हुआ। दूसरी ओर इशिता पाठक ने एक अन्य वाद घरेलू हिंसा से संबंधित अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हल्द्वानी के न्यायालय में दायर किया। इसमें उन्होंने अनुतोष के साथ ही शैक्षिक दस्तावेज भी मांगे। इस वाद में भी बसंत जोशी अधिवक्ता थे। जिसमें कोर्ट के समन को डाक से भिजवाने की अपूर्ण एवं भ्रामक ऑनलाइन ट्रेकिंग रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई और कोर्ट को बताया गया कि आरोपी संदीप पाठक एवं अन्य को समन मिल चुका है और वे कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं। इशिता की ओर से इस आशय का झूठा शपथ पत्र भी कोर्ट में दिया गया और इस मामले की जानकारी अधिवक्ता बसंत जोशी को थी। लेकिन उन्होंने अपनी मुवक्किल को इस गलत कृत्य से नहीं रोका। अधिवक्ता बसंत जोशी परिवार न्यायालय के आदेश से हुए विवाह विच्छेद की डिक्री एवं उससे पूर्व इशिता को लौटाए गए सामान और शैक्षिक दस्तावेज से भी अवगत थे लेकिन उन्होंने यह तथ्य भी अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट को नहीं बताए। दूसरे पक्ष संदीप पाठक एवं अन्य के खिलाफ वह एकपक्षीय निर्णय कराने में सफल रहे। जबकि संदीप पाठक एवं अन्य को इस वाद की कोई जानकारी थी ही नहीं। बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने अधिवक्ता बसंत जोशी के इस व्यवहार को विधि व्यवसाय, अधिवक्ता ऐक्ट 2023 की धारा-35 एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध मानते हुए तीन माह के लिए विधि व्यवसाय से निलंबित कर दिया है।

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