विकासनगर। उत्तराखंड इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष लाइन लॉस रोकने समेत बिजली से संबंधित अन्य सुझावों को रखते हुए उद्योगों की समस्याओं के निराकरण की मांग उठाई है। एसोसिएशन ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बिजली के नए सोर्स तलाशने पर जोर दिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील उनियाल ने आयोग को भेजे ज्ञापन में कहा कि उत्तराखंड में वर्ष 2008 तक खपत से अधिक बिजली का उत्पादन होता था। वर्ष 2010 में तीन पावर टैरिफ बनाए गए और फिक्स्ड डिमांड चार्जेज भी डबल कर दिए गए। बीते दस साल में बिजली की मांग में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन विभाग नए पावर सोर्स नहीं तलाश पाया। सेलाकुई पावर स्टेशन का भी मांग के अनुरूप विस्तार नहीं हो पाया। बिजली कटौती के कारण औद्योगिक इकाइयों को जेनरेटर का सहारा लेना पड़ता है, इससे उत्पादन में निरंतरता बनाए रखना चुनौती बन जाता है।
यूपीसीएल कुछ उद्योगों को 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ निरंतर बिजली उपलब्ध कराता है, जो उद्योग इसका लाभ लेना चाहते हैं, खरीद मूल्य उन्हीं फर्मों से वसूला जाना चाहिए। सभी उपभोक्ताओं पर इसका भार नहीं डाला जाना चाहिए। कहा कि न्यूनतम चार्जेज को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना जरूरी है। बिजली की कमी पर लोड बढ़वाने के लिए उद्योगों को बाध्य किया जाना अनैतिक है। एक्सेस लोड पर जुर्माने का प्रावधान होने के बावजूद न्यूनतम चार्जेज लेना सही नहीं है। बताया कि अन्यत्र ध्यान देने के बजाय लाइन लॉस को रोकने पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने अशोध्य कर्ज की वसूली नहीं होने, बकाया वसूली में जानबूझकर देरी करने के मामलों में उचित कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन भेजने वालों में एसोसिएशन के महासचिव महेश शर्मा भी शामिल रहे।