नई टिहरी। भारतीय प्राच्य ज्ञान परंपरा के गूढ़ रहस्यों को अब आमजन जान सकेंगे। इसके लिए श्रीदेव सुमन विवि ने आधुनिक परिदृश्य में भारतीय प्राच्य ज्ञान संपदा के 87 शोध पत्रों का संकलन कर पुस्तक तैयार की है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने पुस्तक का विमोचन कर शोध के विभिन्न पक्षों के प्रस्तुतीकरण की सराहना की। राज्यपाल के निर्देश पर एक विश्वविद्यालय, एक शोध परियोजना के अंतर्गत श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति प्रो एनके जोशी, प्रो कल्पना, प्रो अनीता तथा प्रो पूनम ने आधुनिक परिदृश्य में भारतीय ज्ञान संपदा विषय पर शोध पुस्तक तैयार की है। पुस्तक का राजभवन में राज्यपाल ने विमोचन किया। पुस्तक में विज्ञान, कला, दर्शन, चिकित्सा एवं जीवन के प्रत्येक पक्ष का गहन विश्लेषण किया है। पुस्तक को सात खंडों में विभक्त किया गया है। पहले खंड में प्राचीन भारतीय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक अनुसंधान एवं प्रयोग, धातु विज्ञान, पारंपरिक कृषि में सिंचाई आदि का गहन अन्वेषण किया गया है। दूसरे खंड में आयुर्वेद एवं योग से संबंधित शोध पत्रों का समावेश किया गया है। तीसरे खंड में विदेश नीति, सैन्य व्यवस्था, राष्ट्रीय चेतना, कल्याणकारी राज्य की अवधारणा आदि को लिया गया है। चौथे खंड में वेद, उपनिषद, गीता, रामायण में वर्णित प्रबंधन के सिद्धांतों को विश्लेषित किया गया है। पांचवें, छटवें और सात खंड में पर्यावरण संरक्षण, भारतीय संगीत परंपरा, न्याय तथा कानून आदि को लिया गया है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने विश्वविद्यालय की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय प्राच्य ज्ञान परंपरा हमारे देश की अमूल्य धरोहर है, जिसे आधुनिक शोध के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा इस दिशा में किया गया शोध कार्य उत्तराखण्ड को ज्ञान के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध होगा।कुलपति प्रो एनके जोशी ने बताया कि यह शोध पुस्तक भारतीय प्राचीन ज्ञान को विश्वभ में एक अमूल्य धरोहर के रूप में स्थापित करने में सहयोग करेगा।