Sunday, April 20, 2025

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वीपीकेएएस में 50वां कृषि विज्ञान मेला आयोजित, उन्नत पर्वतीय कृषि पर जोर


अल्मोड़ा। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के हवालबाग स्थित प्रक्षेत्र में 50वें कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया। इस वर्ष मेले की थीम ‘विकसित भारत हेतु उन्नत पर्वतीय कृषि’ रही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, कृषि आयोग असम के अध्यक्ष और बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया के पूर्व महानिदेशक डॉ. हरि शंकर गुप्त ने कृषि क्षेत्र में संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की और किसानों व वैज्ञानिकों को देश की खाद्य सुरक्षा में योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि देश अब खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है और दुनिया में चावल निर्यात में अग्रणी स्थान पर है। मुख्य अतिथि ने पर्वतीय किसानों से कृषि के साथ मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन और संरक्षित खेती जैसी तकनीकों को अपनाने का आह्वान किया, जिससे युवाओं का पलायन रुकेगा और किसानों की आय कई गुना बढ़ सकती है। अल्मोड़ा नगर निगम के मेयर अजय वर्मा ने संस्थान के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश की तुलना में कृषि में आगे बढ़ सकता है यदि यहां के किसान आधुनिक तकनीकों को अपनाएं। संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत ने संस्थान की 100 वर्षों की उपलब्धियों को साझा किया और बताया कि अब तक 200 से अधिक उन्नतशील प्रजातियों का विकास किया जा चुका है। पिछले वर्ष 14 नई प्रजातियों के साथ तीन तकनीकों के पेटेंट के लिए आवेदन किया गया और 11 तकनीकों को निजी संस्थानों के साथ साझा किया गया। संस्थान की तकनीकों से किसानों की उपज में 23 से 52 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। अनुसूचित जाति और जनजातीय उपयोजनाओं के तहत कई गांवों में आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रसार कर किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मेले में विभिन्न संस्थानों की 25 प्रदर्शनियों के साथ किसानों के लिए तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने उनकी समस्याओं का समाधान किया। कार्यक्रम में उन्नत मक्का, धान और मंडुवा की नई प्रजातियों का लोकार्पण किया गया। अनुसूचित जाति एवं जनजातीय उपयोजनाओं के तहत किसानों को किल्टा बास्केट और पावर वीडर वितरित किए गए। किसान गोष्ठी में वैज्ञानिकों ने पर्वतीय कृषि के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी। इस दौरान प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया गया। मेले में लगभग 800 किसानों की भागीदारी रही, जिन्होंने कृषि नवाचारों को लेकर अपनी रुचि जाहिर की।

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