रुडक़ी। गन्ने की परंपरागत खेती से हटकर कुछ प्रगतिशील किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। गन्ने के साथ सहफसली खेती कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही अधिक उत्पादन देने वाली गन्ने की प्रजातियों पर भी निरंतर शोध कर बेहतर उत्पादन ले रहे हैं। परंपरागत तरीके से की जा रही गन्ने की खेती से किसानों को लगातार बढ़ती महंगाई में फिलहाल कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति में इलाके का एक युवा किसान कई वर्षों से खेती को बिजनेस के रूप में देखकर चल रहा है। उसके सफल प्रयास के बाद कृषि विभाग उसे पुरस्कृत भी कर चुका है। गंग नहर किनारे बसे छोटे से गांव बरहमपुर जट निवासी किसान दीपक मलिक पिछले कई वर्षों से गन्ने की फसल को लेकर लगातार शोध कर रहा है। दीपक ने बताया कि केवल गन्ने की खेती से किसानों का भला नहीं हो सकता। एक फसल के कारण फसल चक्र भी गड़बड़ा गया है। उन्होंने बताया कि अब तक वह 40 से ज्यादा गन्ना प्रजातियों पर शोध कर चुका है। इसके बाद उसके पास कई ऐसी प्रजाति मौजूद है। जिससे उसने प्रति बीघा 100 कुंतल से ज्यादा गन्ने की पैदावार ली है। इसके अलावा गन्नें के साथ सहफसली खेती कर अधिक मुनाफा भी कमा रहा है। गत वर्ष गन्ने के साथ गोभी की फसल उगाने से उसे खासा मुनाफा हुआ। किसान ने बताया कि गन्ने की फसल एक वर्ष में तैयार होती है। जबकि ट्रेंच विधि से बोए गए गन्ने से गन्ने के बीच की दूरी पर काफी जगह खाली रहती है। सहफसली खेती में इसी खाली भूमि का इस्तेमाल होता है। प्रगतिशील किसान दीपक ने बताया कि प्रदेश में गन्ने का कोई अच्छा शोध संस्थान नहीं है। ज्यादातर वैरायटी प्रदेश के बाहर से आती है। गन्ना विभाग की तरफ से भी किसानों को कोई विशेष सहयोग नहीं दिया जाता है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।