देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण इस साल 240 से ज़्यादा तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। इसमें हेलीकॉप्टर से हिमालय के मंदिरों में जाने वाले श्रद्धालुओं में मृत्यु दर सबसे ज़्यादा है। इस साल की यात्रा अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी है, क्योंकि केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री पहले ही सर्दियों के लिए बंद हो चुके हैं और बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद होने वाले हैं। तीर्थयात्रियों की मौत के पीछे सबसे आम कारण ऊँचाई पर होने वाली बीमारियाँ, ऑक्सीजन की कमी और हृदय की गति रुकना है।
किस तीर्थस्थल पर कितनी मौतें हुईं : राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल चारधाम यात्रा के दौरान अब तक कुल 246 मौतें हुई हैं। इसमें बद्रीनाथ में 65, केदारनाथ में 115, गंगोत्री में 16 और यमुनोत्री में 40 तथा सिख तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब में 10 मौतें हुई हैं। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने कहा कि इस साल स्वास्थ्य कारणों से मरने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 242 था। चारधाम यात्रा के दौरान हर साल तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य कारणों से मौत होती है, लेकिन हाल के वर्षों में ऐसी मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है।
इन मौतों के पीछे की वजह : सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि हेलीकॉप्टर से ऊंचे स्थानों पर स्थित मंदिरों तक पहुंचने वाले यात्रियों में मृत्यु दर सबसे अधिक है, क्योंकि ये लोग बिना किसी अनुकूलन प्रक्रिया से गुजरे सीधे उन ऊंचाइयों पर कठोर मौसम की स्थिति के संपर्क में आते हैं। डॉक्टर ने बताया कि निचले इलाकों से हवाई मार्ग से कुछ ही मिनटों में 3000 मीटर से ऊपर स्थित मंदिरों तक पहुंचने से तीर्थयात्रियों को अचानक ऐसे तापमान का सामना करना पड़ता है, जिसके वे आदी नहीं हैं। इसलिए इस तरह के कठोर मौसम के संपर्क में आने से पहले अनुकूलन आवश्यक है।