पौड़ी। जिला उद्यान विभाग पौड़ी द्वारा खांड्यूसैंण स्थित नर्सरी में किसानों को कीवी की खेती की जानकारी देने हेतु दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हो गई है। पहले दिन किसानों को खांड्यूसैंण नर्सरी में कीवी, उसके प्रकार, जलवायु, मिट्टी और उसकी उर्वरकता, उत्पादन और विपणन की विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में उद्यानिकी एवं वानिकी विवि सोलन में फल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इन हेड रहे डा. जेएस चंदेल ने कहा कि पहाड़ में पलायन थामने व किसानों की आजीविका को मजबूत बनाने में कीवी की खेती बहुत ही कारगर साबित होगी। इसके लिए पौड़ी और आसपास की जलवायु बहुत ही उत्तम है। किसानों को सही मार्गदर्शन लेकर कीवी की खेती से बेहतर उत्पादन मिलेगा। पौड़ी की जलवायु के अनुकूल एलिसन व हेवर्ड प्रजाति बेहतर उत्पादन देंगी। बताया कि कीवी औषधीय गुणों से भरपूर होती है, इसमें विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है। डेंगू में प्लेटलेट बढ़ाने में कीवी बहुत लाभकारी होता है। डा. चंदेल ने बताया कि कीवी का एक पौधा 80 से 100 किलो फल देता है। प्रति पौधा किसान 10 से 15 हजार का मुनाफा पा सकता है। उन्होंने बताया कि कीवी को बंदर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, बीमारियों को प्रकोप भी कम रहता है। डीएचओ पौड़ी राजेश तिवाड़ी ने बताया कि किसानों की आर्थिकी मजबूत करने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है। गुरुवार को किसानों को सेब की बागवाली को लेकर जानकारी प्रदान की जाएगी। मृदा परीक्षण कार्यशाला श्रीनगर के अपर उद्यान अधिकारी रविंद्र बिष्ट ने मिट्टी, उसके प्रकार व जांच को लेकर जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन एडीओ उद्यान शिवराज पोखरियाल ने किया। कार्यशाला में पौड़ी, खिर्सू, पाबौ, चिपलघाट, थलीसैंण, बंगीधार आदि क्षेत्रों के 60 से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर बीपी पांडेय, सुरजीत पटवाल, कृपाल सिंह, सुनील पंत, तेजराम बडोला, अमर सिंह आदि मौजूद रहे।