विकासनगर)। समान नागरिक संहिता में शामिल किए गए लिव इन रिलेशन समेत कुछ अन्य प्रावधानों के विरोध में उत्तराखंड क्रांति दल ने सोमवार को तहसील मुख्यालय में प्रदर्शन कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। उक्रांद नेताओं का आरोप है कि लिव इन रिलेशन की परंपरा देवभूमि की संस्कृति के खिलाफ हैं। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में भू-कानून लागू करने की मांग भी उठाई। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे उक्रांद के केंद्रीय संरक्षक सुरेंद्र कुकरेती ने कहा कि समान नागरिक संहिता के अंतर्गत लिव इन रिलेशन को सरकार द्वारा कथित कानूनी मान्यता देना निंदनीय है। कहा कि यह देवभूमि के संस्कारों पर प्रहार के समान है। लिहाजा यूसीसी के भाग तीन, सहवासी संबंध वाले अध्याय को जल्द हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में एक वर्ष की अवधि के निवास के आधार पर अस्थाई निवास प्रमाणपत्र प्रदान करने की व्यवस्था से मूल निवासियों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह न केवल राज्य के भू-क़ानून को कमजोर करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों की भूमि और संसाधनों की सुरक्षा के लिए बनी व्यवस्थाओं को भी समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने समान नागरिक संहिता के तहत लाए गए इन प्रावधानों का विरोध किया। कहा कि यह पारंपरिक निवास और भूमि संबंधी कानूनों को प्रभावित करेंगे। आरोप लगाया कि इस प्रकार के प्रावधान देवभूमि के हित में नहीं है l उन्होंने कहा कि सनातनी सभ्यता को राजनीति की भेंट ना चढ़ाया जाए l उक्रांद के केंद्रीय संरक्षक ने कहा कि इन दो बिंदुओं को छोड़कर यूसीसी के अन्य सभी प्रावधानों का उनकी पार्टी समर्थन करती है। प्रदर्शन करने वालों में केंद्रीय संगठन सचिव प्रकाश भट्ट, जिला उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह नेगी, जिला महामंत्री अतुल बेंजवाल, जितेंद्र पवार, नरेंद्र कुकरेती, भूपेंद्र बिष्ट, बीना पंवार, अमरदेव जोशी, देवी प्रसाद डंगवाल, सुंदरलाल गरौला, कमलेश रावत, जगदीश चंद्र, सुषमा नेगी आदि शामिल रहे।